बुधवार, 27 नवंबर 2013

केक मिक्सिंग में शबाब साबरी ने गाए गीत


-सिनेमिर्ची फीचर एजेंसी-
मुंबई के पेनिनसुला ग्रांड होटल में आयोजित होने वाला केक मिक्सिंग एक ऐसा इवेंट है जिसमें बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ शामिल होते हैं। केक मिक्सिंग प्रोग्राम में चार चांद लगाने के लिए एक खास तरह का केक तैयार किया जाता है जिसे बनाने में एक महीने से भी ज्यादा समय लगता है। इस मौके पर सिंगर्स की लाइव परफोरमेंस भी रहती है। हर बार की इस बार भी इस अनोखे इवेंट में डॉली बिंद्रा, बॉबी डार्लिंग, तनीषा सिंह, इश्क गंभीर, आकृति नागपाल, एकता जैन, मानसी प्रीतम, शबाब साबरी जैसी सिने हस्तियां शामिल हुईं। इस मौके पर सिंगर शबाब साबरी ने अपने गीतों से ऐसा समां बांधा कि केक मिक्सिंग की महफिल यादगार बन गई।
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कैलाश खेर ने बिखेरा संगीत उत्सव में रंग


-सिनेमिर्ची फीचर एजेंसी-
कानों को छूती वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि और जिधर भी देखो हर कोई गीत-संगीत लुत्फ उठाता हुआ नजर आए तो यह समझने में देर नही करनी चाहिए कि हो न हो यह बकार्डी का एक खास तरह का गीत-संगीत का उत्सव है जो कि आजकल हर संगीत प्रेमी के बीच लोकप्रिय है। www.aparajita.org अब तक जितने भी गायक व संगीतकारों ने इस उत्सव में हिस्सा लिया है, सभी ने अद्भुत अनुभव किए। कैलाश खेर भी इस संगीत उत्सव में परफॉर्म करने के बाद कहा कि यह संगीत उत्सव अपने तरीके का अलग ही है। 
www.aparajita.org  इसमें परफॉर्म करना मेरे और मेरे बैंड कैलासा के लिए बहुत ही मायने रखता है। यह पूरी तरह से कला और संगीत का उत्सव है। भारत में इस तरह का संगीत उत्सव का होना बहुत ही अच्छी बात है।

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शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

१८ करोड़ के ठुमके तनीषा सिंह के

 तनीषा सिंह अपनी एल्बम १८ करोड़ के ठुमके के लिए मीडिया और सबकी नज़र में छा गई क्यूंकि एल्बम हित हुआ। साथ ही साउथ में तमिल और तेलगु फ़िल्म में काम करके भी काफी नाम मिला। तनीषा ने अभी तक १० से ज़यादा म्यूजिक विडियो किया है। तनीषा ने अपनी नयी हिंदी फ़िल्म जो अतुल पटेल अपने बैनर मॉडर्न मूवीज के नीचे बना रहे हैं। फ़िल्म का गीत और कहानी लिखी है सजन अगरवाल ने। फ़िल्म में तनीषा एक मेहमान का किरदार करेंगी और एक गाने में भी नज़र आएँगी












शूटिंग रिपोर्ट
`` घोघोरानी - ए मैजिक फ्रेंड''
मुंबईमुंबई के मालाड (पश्चिम) में मढ़ में स्थित मढ़ फोर्ट (किला) जिले वर्सोवा फोर्ट कहते हैंवहां पर अलका पिक्चर के बैनर तले बन रही फिल्म `` घोघोरानी - ए मैजिक फ्रेंड'' की शुरुआत एक गाना `गांधीजी ने कहा थाएक गाल पर मारोगे तो दूसरा गाल बढ़ाऊंगा '... के पिक्चराईजेशन से शुरू हुई. जहाँ पर रात में भूतों के कंकालसूनसान जंगलव विराने किले में निर्देशक ललन कुमार कंज ने गाने की शूटिंग सिकंदर खानबेबी सांची तिवारीबेबी फिरदौस के साथ कर रहे थे. इस गाने को सुदेश भोसले ने गाया है और लिखा है ललन कुमार कंज ने.
फिल्म `` घोघोरानी - ए मैजिक फ्रेंड'' के निर्माता सुनिल कुमार हैंजो पटना में प्रिंटिंग का काम करते हैंइसके निर्देशक ललन कुमार कंज हैं जो कि फिल्म `` अखिरी चेतावनी'', `` अल्लाह मेहरबान को गधा पहलवान'' , राजकुमारी (हिंदीअंग्रेजीकन्नड़मलयालम)बॉर्डर काश्मीर तथा धारावाहिक `` जाये कहां'' जैसे कई फिल्मों व धारावाहिकों में बतौर राईटर काम कर चुके हैं. अपनी फिल्म `` घोघोरानी - ए मैजिक फ्रेंड'' के बारे में बताते हैंइसकी कहानी ग्रेसी सिंह व राहुल रॉय से शुरू होती हैजो बड़ी नौकरी करते हैंउनकी एक छोटी बच्ची फिरदौस है. दोनों में तलाक होता है और कोर्ट बच्ची को ग्रेसी सिंह को दे देती है. वे एक जगह आकर रहने लगते हैं. बच्ची हमेशा उदास रहती है और माँ हमेशा बेटी डांटती रहती है. एक दिन बच्ची टेरिस पर जाती है और वहां एक और छोटी बच्ची साँची तिवारी मिलती है. दोनों की दोस्ती हो जाती है. सांची तिवारी का नाम घोघारानी होता हैजिसे फिरदौस ए मेजिक फ्रेंड बुलाती हैक्योंकि वह एक भूत रहती हैऔर इस तरह हमारी फिल्म शुरू होती है.
इस गाने में एक एक्टर सिकंदर खान हैं जो कि बचपन में पोलियो हो जाने की वजह से पैर खराब हो गया है अपंग हो गये हैं. लेकिन अपनी हिम्मत लगन व मेहनत के दम पर एक सफल कलाकार बने हैं वे शो करते हैं और वे हमेशा शो में खासकर के अमिताभ बच्चन की आवाज निकालते हैं और अमितजी के लिए फिल्म में एवं विज्ञापन में अपनी आवाज दे चुके हैं.22 वर्षों से स्टेज पर देश - विदेश में धारावाहिकों में अलबमों में अपनी कला का परिचय दे चुके हैं. पहली बार फिल्म में काम कर रहे हैं. फिल्म `` घोघोरानी - ए मैजिक फ्रेंड'' में संगीत किशोर रावत कागीत - ललन कुमार कंजविजय वर्मादिनेश राणा काकैमरावर्क - बी.एन. सहानी का है. इसमें गीतों को अपनी मधुर अवाज दी है अलका याज्ञनिकतोची रैनाअनन्यासुदेश भोसलेवैभवीसतीश वाधवेइसका निर्माण अलका पिक्चर के बैतर तले निर्माता सुनिल कुमार कर रहे हैं. इसमें कहानीस्क्रीनप्ले,डॉयलॉगनिर्देशन ललन कुमार कंज है. इस फिल्म के मुख्य कलाकार ग्रेसी सिंहराहुल रॉयबेबी सांची तिवारीफिरदौसबेबी नाईशाएहसान खानसोनिका गिलसिकंदर खानइकबाल गज्जन व अन्य हैं.

मंगलवार, 1 जनवरी 2013

2012 में लुभाने आईं नई बालाएं/-दीपक दुआ

हर साल की तरह 2012 में भी कई नई नायिकाओं ने हिन्दी सिनेमा के पर्दे पर अपना पहला कदम रखा। इनमें से ज्यादातर ने निराश किया तो वहीं कुछ एक में संभावनाएं भी दिखाई दीं। इलेना डिक्रूज ने ‘बरफी’ में प्रभावशाली अभिनय किया। भले ही उनका काम रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा के कद तले दब गया लेकिन उनका काम नकारा नहीं जा सकता। महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट ने करण जौहर की ‘स्टुडैंट ऑफ द ईयर’ से अपनी जोरदार शुरुआत की। उनकी एक्टिंग में तो निखार की जरूरत है अलबŸाा स्टारडम वह अपने साथ लेकर आई हैं। इसी फिल्म में ‘कुछ कुछ होता है’ वाली बच्ची सना सईद भी जवां रंगत में नजर आईं। ऐशा गुप्ता को पहले ही साल तीन बड़ी फिल्मों-‘जन्नत 2’, ‘राज 3’ और ‘चक्रव्यूह’ में बड़े मौके मिले। लेकिन अभी उनका काम उनके मॉडल होने की चुगली खाता नजर आता है। ‘चक्रव्यूह’ में अंजलि पाटिल ने एक नक्सली के रूप में बहुत बढ़िया काम किया। अंजलि वैसे भी दक्षिण से होकर आई हैं और अच्छे रोल मिलें तो यहां टिक सकती हैं। मॉडलिंग से आने के बावजूद यामी गौतम ने ‘विकी डोनर’ में उम्दा अभिनय किया। इंडस्ट्री ने उन्हें इसका फल देना शुरु कर भी दिया है। ‘कॉकटेल’ में डायना पेंटी न सिर्फ बहुत प्यारी लगीं बल्कि सामने दीपिका पादुकोण जैसी बड़ी स्टार होने के बावजूद काफी अच्छा काम भी कर गईं। एक अच्छी शुरुआत हुमा कुरैशी की भी हुई। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के दोनों भागों और ‘लव शव ते चिकन खुराना’ में उनका काम काफी सराहा गया। पाओली डाम ने ‘हेट स्टोरी’ में जो बोल्डनैस दिखाई उसके दम पर वह यहां टिकी रह सकती हैं। महेश भट्ट की कृपा से पोर्न अदाकारा सनी लियोन ‘जिस्म 2’ में अभिनेत्री बन कर आईं। क्टिंग की ए.बी.सी. तो अभी उन्हें सीखनी है लेकिन फिल्म वाले उनके लिए दीवाने होने लगे हैं। ‘कमाल धमाल मालामाल’ की मधुरिमा कुछ खास नहीं रहीं। ‘इंगलिश विंगलिश’ में आईं प्रिया आनंद को अच्छा मौका मिले तो वह असर छोड़ सकती हैं। ‘फ्रॉम सिडनी विद् लव’ में बिदिता बाग का काम अच्छा था लेकिन यह फिल्म ही नहीं चल पाई। ‘एक दीवाना था’ में एमी जैक्सन ने प्रभावी काम किया लेकिन उन्हें अभी यहां कोई नहीं पूछ रहा है। साल के आखिर में आई ‘2 नाइट्स इन सोल वैली’ की नई नायिकाएं भी कुछ खास नहीं कर पाईं। ‘दाल में कुछ काला है’ में पाकिस्तानी अदाकारा वीना मलिक ने अभिनय के नाम पर जो किया, उसे देख कर दर्शक सिर पीटते हुए ही नजर आए।

मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

पर्यटन-भगवान जगन्नाथ की भूमि - ओडिशा

सामान्यतः ओडिशा को भगवान जगन्नाथ की भूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं और राज्य इनका दोहन भी कर रहा है। नीलमाधब की कहानी को कंटीलो के साथ जोड़ना काफी उत्तेजनापूर्ण है। ऊषाकोठी के हरे वन एवं सिमिलिपाल के जंगलों में पक्षियों की चहचहाहट इस क्षेत्र की ओर लोगों को आकर्षित करते हैं। भुवनेश्वर से बीस किलोमीटर की दूरी पर बने नंदनकानन के वन हर उम्र के लोगों को अपनी ओर खींचते हैं। शेर सफारी एवं बाघ सफारी यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक हैं। वन्यजीवन को पसंद करने वालों के लिए महानदी का टिकरपड़ा मगरमच्छ अभयारण्य अपनी ओर खींचता है। वर्ष में दो बार ओलिव रिडले कछुए गहिरमाथा में आकर अंडे देते हैं तथा उनसे बच्चे निकलने के बाद यहां से चले जाते हैं। ओडिशा की चिलका झील एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यहां आप अनगिनत प्रवासी पक्षियों को आसानी से देख सकते हैं। हनीमून टापू और नाश्ता टापू जैसे प्रसिद्ध टापू इसी झील की शोभा बढ़ा रहे हैं। डॉल्फिन मछलियों की अटखेलियां इस झील की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। यहां के तेज प्रवाह वाले बारहमासी झरने बागरा, दुदुमा, हरिशंकर, नृसिंहनाथ, प्रधानपाट, खंडाधार, बरेहीपानी और जोरंदा यहां के आकर्षण को और भी बढ़ा देते हैं। इनसे बनने वाले मनोरम दृश्य को देखने के लिए पर्यटक काफी दूर-दूर से आते हैं। ग्रीष्मकाल में यहां आने वाले पर्यटक झरनों को देखकर अपनी सारी थकावट को भूल जाते हैं। इतना ही नहीं ठंड के मौसम में यहां के गर्म पानी के अटरी, तप्तपानी, दुलाझरी और तारबालो झरने लोगों को अपनी ओर खींचते हैं। ओडिशा के समुद्री तटों की लंबाई लगभग 400 किमी है, जो चंदनेश्वर से गोपालपुर तक फैला हुआ है तथा इसे विश्व का सबसे बडा समुद्री किनारा होने का सम्मान हासिल है। बालासोर जिले का चांदीपुर समुद्री तट भी अपनी एक विशिष्ठ पहचान रखता है। पर्यटन स्थलों के साथ ही ओडिशा अपने विभिन्न कलात्मक एवं सांस्कृतिक विरासतों, मेले तथा उत्सवों के लिए भी प्रसिद्ध है। इन उत्सवों में पुरी की रथयात्रा तो पूरे विश्व में विख्यात है। बरगढ़ की धनु यात्रा, संबलपुर की सीतला षष्ठी, चंदनेश्वर का नीला पर्व और बारीपदा का छोउ नृत्य भी यहां की प्रसिद्धि में बराबर का योगदान देते हैं। भुवनेश्वर में पर्यटन मंदिरों का यह शहर उत्तर में हावड़ा और दक्षिण में चेन्नई से मुख्य रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है।यहां आने वाले लोगों के लिए भुवनेश्वर विविधाताओं, एकता और मनोरंजक स्थान है। पुराने और नए का यहां बेजोड़ मिश्रण देखने को मिलता है और इस शहर का 2500 सालों का एक लंबा इतिहास रहा है। सभी धर्म एवं और संप्रदाय के लोग यहां भाईचारे के साथ रहते हैं लिंगराज मंदिर, शिव आराधना का केंद्र है। अनंत वासुदेव मंदिर 1278 ईसवी (4 किमी) बिंदु सरोवर के पूर्वी किनारे पर बना यह मंदिर वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है, 18.29 मी ऊंचे मंदिर में विष्णु की प्रतिमा है। भास्करेश्वर मंदिर (6 किमी), इस छोटे मंदिर की सबसे बड़ी खासियत इसकी सीढियां हैं और ऊंचाई पर बना पवित्र पवित्र लिंग है। इसकी ऊंचाई जमीन से 3 मी लंबी है। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह लिंग संभवतः एक खड़ा स्तंभ है। बिंदु सरोवर (4 किमी), लिंग राज मंदिर के उत्तर में स्थित है। इस विशाल सरोवर की लंबाई लगभग 400 मी और चौड़ाई 230 मी है। भक्तों का ऐसा विश्वास है कि इसमें भारत की सभी पवित्र नदियों का जल आकर मिलता है और इसमें उनको शुद्ध करने की क्षमता है। ब्रह्ममेश्वर मंदिर 1061 ईसवी (6.5 किमी), सोमवंशी राजा उद्योत्तकेसरी की मां कलावती ने साम्राज्य के आठरहवें साल पर करवाया था, यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। बी.के कला एवं शिल्प महाविद्यालय (10 किमी), यह महाविद्यालय कला और शिल्प की कई विधाओं में उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान करता है। यहां मुख्य रूप से लकड़ी पर नक्काशी, ताड़ पत्र कला, मूर्तिकला, मृदा काला, व्यावसायिक कला, ग्राफिक कला, रेखा चित्र और पेंटिंग विषयों में डिग्री दी जाती है। यह महाविद्यालय खांदागिरी मे स्थित है। धाऊली (9 किमी) दया नदी के दक्षिणी किनारे में एक छोटी सी पहाड़ी है। इसके मध्य में फैले हरे-भरे मैदान इसके बाहरी हिस्सों तक फैले हैं। 261 ईसा पूर्व में राजा अशोक ने कलिंग के विरुद्ध अंतिम युद्ध लड़ा था। ऊपर पुरी में पर्यटन पुरी को धरती के स्वर्ग के रूप में वर्णित किया जाता है। पूजा अर्चना और घूमने-फिरने की दृष्टि से पुरी एक आदर्श स्थान है। पुरी में जगन्नाथ मंदिर के अलावा कई और छोटे मंदिर में स्थित हैं। यहां दुनिया का बेहतरीन समुद्रीय तट है। आई टोटा (1.5 किमी),गुंदीचा मंदिर के बाईं ओर स्थित है जहां रथ यात्रा के दौरान चैतन्य रुकते थे। अंगीरा बाटा (3.5 किमी) बरगद की छांव के नीचे, जो अंगीरा बाटा के नाम से जाना जाता है, जगन्नाथ मंदिर के पूर्व में स्थित है यह चारों ओर से दीवारों से घिरा हुआ है और इसका संबंध ज्ञानी अंगीरा से है। अन्नपूर्णा थियेटर (3 किमी),नौंवीं शताब्दी ईसवी में मुरारी मिश्रा ने पहली बार पुरी में अपने नाटक को रिकॉर्ड किया । यह प्राचीन थियेटर ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाया, सत्तर साल पुराने इस थियेटर हाउस को आज भी पुरी में देखा जा सकता है। अर्धशनि (3 किमी), जगन्नाथ मंदिर से करीब 3 किमी की दूरी पर ग्रेंड ट्रंक रोड पर अर्धशनि या मौसी मां का य मंदिर स्थित है, जो आंशिक रूप से सफेद रंग का है। यहां सुभद्रा की भी पूजा की जाती है। अष्ट शंभू (4.5 किमी) छोटे आकार का यह मंदिर टिहाडी शाही में है,जहां आठ शिव का लिंगों को अमूल्य पत्थरों से बनाया गया है। अलग-अलग दिशाओं से देखने पर यह कई रंगों में नजर आता है। अथारनाला (3 किमी), तेरहवीं शताब्दी में गंगा साम्राज्य के भानू देबा ने 18 मेहराबों वाले ब्रिज या अथारनाला का निर्माण करवाया, जो वास्तुकला के क्षेत्र में मील का पत्थर है। इसे पत्थरों से तैयार किया गया था जिसका उपयोग आज भी पुरी मे लोग आने-जाने के लिए करते हैं। अरविंदो धाम (4 किमी), हाल ही में स्थापित यह संस्थान बीसवीं शताब्दी के महान भारतीय ज्ञानी अरविदों की पद्धतियों को लोकप्रिय बना रही है। इसमें एक छोटा पुस्तकालय है। इसकी इमारत काफी प्रभावशाली है,जिसमें दक्षिण के स्वर्ग द्वार से प्रवेश किया जा सकता है। बाटा लोकनाथ (5 किमी),स्वर्ग द्वार माऱग्‍ पर स्थित यह एक शिव मंदिर है, जहां मां काली की भी पूजा होती है। बाटामंगला (5 किमी),पुरी-भुवेनश्वर मार्ग पर अथारनाला से करीब 3 किमी की दूरी पर स्थित यह बाटामंगला का मंदिर है। यहां आने वाले ज्यादातर भक्त पुरी तक की सुरक्षित यात्रा की कामना लेकर आते हैं। बाउली मठ (3.5 किमी), गुरु नानक द्वारा खोदा गया कुंआं देडासुर भाई बोहू आज भी बाउली मठ में मौजूद है, इसमें सालभर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। बेदी महावीर (2.5 किमी), समुद्र किनारे बसे इस मंदिर में रामभक्त हनुमान की पूजा होती है। भारत सेवाश्रम (4किमी) स्वर्ग द्वार के निकट बसा हुआ है, जो रथ यात्रा के दौरान अपनी भूमिका निभाता है। भृगु आश्रम (3किमी), यह आश्रम अथारनाला के निकट बना हुआ है, जो ज्ञानी भृगु से संबंधित है। चाखी खुंती आवास (4 किमी), जगन्नाथ मंदिर का संत चाखी खुंती ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। खुंतिया रानी लक्ष्मीबाई के पारिवारिक गुरु थे। चक्र तीर्थ (2 किमी), समुद्र तटीय क्षेत्र में बने इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की अर्धांग्नी लक्ष्मी की आराधना की जाती है। छोटा होने के बावजूद इस मंदिर में बने लक्ष्मी और नरसिंह की प्रतिमाएं दर्शनीय हैं। चतुरधाम वेद भवन (4.5 किमी), युवाओं को इस विद्यालय में वेदों की शिक्षा दी जाती है। यहां पढ़ने वाले छात्रों को वेद कंठस्थ हैं। यहां आने वाले लोग पारंपरिक वेद प्रक्रिया को भी सहज रूप में देख सकते हैं। सूर्य मंदिर, कोणार्क स्थित तेरहवीं शताब्दी में राजा नरसिंह देव द्वारा निर्मित यह सूर्य मंदिर वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। पूरे मंदिर को भगवान सूर्य की सवारी रथ के रूप में तैयार किया गया, जिसमें सात घोड़े भी हैं। वैदिक काल से ही सूर्य देवता भारत के लोगों के लिए पूजनीय रहे हैं। मेलककदमपुर शिव मंदिर, कुलोतुंगा चोला प्रथम (1075-1120) के शासनकाल में रथ के आकार मे बनाया गया है। इस तरह का यह अपने आपमें सबसे पुराना मंदिर है जो राज्य में आज भी पूरी तरह सुरक्षित है। नवग्रुहा मंदिर में पत्थरों से निर्मित है, जिसमें नौ देवताओं की पूजा की जाती है। यह मंदिर मध्यकाल की वास्तुकला के अनुसार बनाया गया है और यह ओडिशा के अधिकतर मंदिरों से मिलता-जुलता है। सूर्य मंदिर में भी नवग्रुहा का एक पत्थर रखा गया है, जिसे काफी सुंदर तरीके से सजाया गया है।

सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

पेप्सी की तरह है ‘स्टुडैंट ऑफ द ईयर’/फिल्म समीक्षा-दीपक दुआ

करण जौहर को अपनी सीमाएं अच्छी तरह से पता हैं और यही कारण है कि वह अपनी बनाई या अपने बैनर की फिल्मों में कोई महानता या गहराई डालने की बजाय सिर्फ उतना भर और जान-बूझ कर वही चीज परोसते हैं जिससे दर्शकों को लुभाया जा सके क्योंकि चाहे कुछ भी कहा जाए, फिल्मी दुनिया का सबसे बड़ा सच तो बॉक्स-ऑफिस ही है और करण की यह फिल्म भी इस सच को सार्थक करती हुई नजर आती है। एक ऐसा स्कूल (हालांकि यह कॉलेज जैसा है और इसके ‘बच्चे’ भी काफी बड़े हैं) जिसमें दो तरह के लोग हैं-टाटा यानी बेहद अमीर और बाटा यानी गरीब। अलबŸाा ये दोनों ही क्या शानदार डिजाईनर कपड़े पहनते हैं। पूरे स्कूल में टीचर के नाम पर हैं एक डीन जो समलिंगी प्रवृति का है और दूसरा है स्पोर्ट्स का कोच जिस पर डीन लाइन मारता रहता है। एक हीरो टाटा है जिसके पास बाप का भरपूर पैसा है लेकिन वह रॉक स्टार बनना चाहता है तो दूसरा हीरो बाटा है जो टाटा बनना चाहता है। हीरोइन टाटा किस्म की है लेकिन दोनों हीरो के बीच कन्फ्यूज रहती है। यहां के बच्चे करण जौहर की फिल्मों के बच्चों की तरह पढ़ाई छोड़ कर सब कुछ करते हैं और आश्चर्यजनक रूप से सारे के सारे पढ़ाई समेत हर काम में अच्छे हैं। दिल, प्यार, मोहब्बत, ईर्ष्या, होड़ जैसी चीजों में ये उलझे रहते हैं। अरे, टाटा हीरो के भाई की थाईलैंड में होने वाली शादी का जिक्र तो रह ही गया जिसमें ये सारे टाटा-बाटा एक साथ जाते हैं और खूब मस्ती करते हैं। भई, करण ने फिल्म बनाई किस लिए है-मौज मस्ती दिखाने के लिए ही न! फिल्म की कहानी साधारण है और उस पर जो पटकथा लिखी गई है उसमें ढेर सारे झोल भी हैं। लेकिन करण की तमाम फिल्मों की तरह यह फिल्म भी अपनी चमकदार पैकेजिंग के चलते ऐसी तो बन ही गई है जिससे एक अच्छा टाइमपास मनोरंजन मिलता है। हां, बड़े शहरों और मल्टीप्लेक्स वाले दर्शकों को इसे देख कर कहीं ज्यादा सुकून मिलेगा। करण की तारीफ यह कह कर भी की जा रही है कि उन्होंने तीन नए कलाकार इंडस्ट्री को दिए हैं। बात सही भी है। डेविड धवन के बेटे वरुण धवन का काम अच्छा है लेकिन सिद्धार्थ मल्होत्रा अपने कैरेक्टर की वजह से उनसे बेहतर लगते हैं। महेश भट्ट और सोनी राजदान की बेटी आलिया भट्ट खूबसूरत गुड़िया सरीखी लगती हैं। अभिनय के मामले में वह अभी भले ही कच्ची हों लेकिन कैमरे के सामने अदाएं दिखाने और कपड़े उतारने का आत्मविश्वास उनमें भरपूर हैं और यह तय है कि अच्छे मौके मिलें तो ये तीनों ही यहां लंबे समय तक टिकने वाले हैं। ऋषि कपूर ने समलिंगी डीन के किरदार को कायदे से निभाया है। बाकी सब भी अच्छे रहे। खासतौर से बोमन ईरानी के बेटे कायोज ईरानी का काम बहुत प्रभावी रहा। फिल्म का म्यूजिक फिल्म के मिजाज के मुताबिक यंग फ्लेवर वाला ही रहा है। कुल मिला कर ‘स्टुडैंट ऑफ द ईयर’ आपके दिल-दिमाग को नहीं झंझोड़ती, आपके जेहन में बरसों तक रच-बस जाने का माद्दा भी नहीं है इसमें। लेकिन इसमें ऐसा मनोरंजन है जो चखने में स्वादिष्ट है, जो आंखों को सुहाता है, जो कानों को प्यारा लगता है। और भला क्या चाहिए आपको? हाथों में पॉपकॉर्न-पेप्सी लीजिए और देखिए इस फिल्म को। वैसे यह है भी पेप्सी की ही तरह। एकदम से अच्छी लगने वाली, मुंह को मीठा करने वाली, कुछ समय तक पेट को भी भरने वाली। लेकिन थोड़ी देर बाद...? सब गायब...! रेटिंग-2.5 स्टार (समीक्षक करीब 19 साल से फिल्म पत्रकार हैं और कई प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं समेत आकाशवाणी, एफ.एम. और दूरदर्शन से भी जुड़े हुए हैं।)